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Friday, July 5, 2013

हर कोई यहाँ जल्दी में है !

पाकर आने की आहट
मौसम-ए- बरसात की,
एक पौधा बरगद का
रास्ते के उस छोर पर,
बाग़ के कोने में अपने
रोपने  जो  मैं चला तो ,
उधर से होकर
गुजरता हर एक राही
बस यही बुदबुदाता ;
"पागल है,
नीलगिरी का रोपता
तो कुछ फायदे में रहता।"