दगाबाजो, हमारे संग तो तुमने दगाबाजी काफी की है,
यह न पूछो, कब और कैसे, क्या-क्या नाइंसाफी की है।
हम तो यूं ही शराफत में मारे गए, तुम पर यकीं करके,
इटली वालों, तुमने सरेआम हमसे वादाखिलाफी की है।
खून इन्सानी जज्बातों का बहाया, रिश्तों की आड़ में,
प्रश्न हमारे जीने-मरने का है, तुमको पडी माफी की है।
भारतीयों की कीमत, सिर्फ इतनी सी आंकी है तुमने,
हर्जाना-ऐ-जां, सोने-चांदी के सिक्कों से सर्राफी की है।
'परचेत'ये दस्तूर पुराना है इन ख़ुदगर्ज फिरंगियों का ,
हमारे पगड़ी-दुप्पटे उछाले, इनको चिंता साफी की है।
साफी= रुमाल
यह न पूछो, कब और कैसे, क्या-क्या नाइंसाफी की है।
हम तो यूं ही शराफत में मारे गए, तुम पर यकीं करके,
इटली वालों, तुमने सरेआम हमसे वादाखिलाफी की है।
खून इन्सानी जज्बातों का बहाया, रिश्तों की आड़ में,
प्रश्न हमारे जीने-मरने का है, तुमको पडी माफी की है।
भारतीयों की कीमत, सिर्फ इतनी सी आंकी है तुमने,
हर्जाना-ऐ-जां, सोने-चांदी के सिक्कों से सर्राफी की है।
'परचेत'ये दस्तूर पुराना है इन ख़ुदगर्ज फिरंगियों का ,
हमारे पगड़ी-दुप्पटे उछाले, इनको चिंता साफी की है।
साफी= रुमाल
1 comment:
वाह हुज़ूर वाह ..... क्या लिखा आपने गज़ब |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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