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Saturday, March 3, 2012

संत खुशफहमी !


अति सम्मोहित ख्वाब
कैफियत तलब करने
आज भी गए थे
उस जगह, जहां कल
रंगविरंगे कुसुम लेकर
वसंत आया था !
ख़याल यह देखकर
विस्मित थे कि उन्मत्त
दरख्त की ख्वाईशें,
उम्मीद की टहनियों से
झर-झर उद्वत
हुए जा रही थी,
पतझड़ पुन: दस्तक दे गया था  
या फिर वसंत के
पुलकित एहसास ही
क्षण-भंगूर थे, नहीं मालूम !!

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