कातिबे तकदीर को मंजूर पाया, (कातिब-ऐ-तकदीर=विधाता)
तस्सवुर में तेरा हसीं नूर पाया। (तस्सवुर में = ख्यालों में )
बिन पिए ही मदमस्त हो गए हम,
तरन्नुम में तुम्हारे वो सुरूर पाया। (तरन्नुम= गीत )
कुछ बात हममे है कि तुम मिले,
मन में पलता ये इक गुरुर पाया।
सेहर हसीं और शामे रंगीं हो गई, (सेहर = सुबह )
तुमसा जब इक अपना हुजूर पाया।
जब निहारने नयन तुम्हारे हम गए,
प्यार के खुमार में ही चूर पाया ।
बेकस यूँ लगा खो गई महक फूल की, (बेकस = अकेला )
तुम्हें जब कभी खुद से दूर पाया।