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Friday, March 11, 2011

साकी को न जब तलक,इस बात का मलाल होगा !



साकी को न जब तलक,

इस बात का मलाल होगा,

मयखाने पर हर मुर्गा,

प्यासा ही हलाल होगा !



मिलेगी न तृप्ति हरगिज,

अतृप्त इस पियक्कड़ को,

हलक इसके घुटन होगी,

दिल बद्दतर हाल होगा !

साकी को न जब तलक........!!



सोचा न था जिसने कभी,

पैमानों की भीड़ में,

छलकते हुए हर जाम पर,

सर भी इस्तेमाल होगा !

साकी को न जब तलक........!!



तबेला बना हो चौराहा,

टुन्न आवारा पशुओं से,

मय के प्याले भर-भरके,

बांटता हर पंडाल होगा !

साकी को न जब तलक........!!



कहीं बीच ढोल-आतिशों के,

डगमगायेंगी कुछ पायले,

संग पगड़ियों के उछलता,

इज्जत का सवाल होगा !

साकी को न जब तलक........!!



शामे-गम को जब कभी,

सन्नाटे से दहशत लगे ,

खर्राटों के सिरहाने कहीं,

खिन्न कुमकुम लाल होगा !

साकी को न जब तलक........!!



पलकें भीग जायेंगी जब,

किसी बेमौसमी बारीश में,

गेसुओं के घने दश्त से,

शिकस्तगी का जमाल होगा !

साकी को न जब तलक........!!



आबाद बना रहे सदा,

साक़ी तेरा ये मयकदा,

एक कोने पर बाप बैठा,

दूसरे धुत लाल होगा !

साकी को न जब तलक........!!



मय मिलाकर इश्क में,

दोनों पियेंगे संग मिलकर,

तेरे मयकदे की कसम,

नजारा बेमिसाल होगा !



साकी को न जब तलक,

इस बात का मलाल होगा,

कि मयखाने पे हर मुर्गा,

यूँ प्यासा ही हलाल होगा !!


छवि गुगुल से साभार

4 comments:

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर| धन्यवाद|

होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|

Dr Varsha Singh said...

आपको रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

Amrita Tanmay said...

Ati sundar...