बापू, अब तेरे देश में, अच्छे लोगो के टोटे हो गए है ,
जिधर देखो, सब के सब बिन पैंदे के लोटे हो गए है !
कोई लल्लू बन के लुडक रहा, कोई चिकना मुलायम,
खुद को अमर बताने वाले, खा-खा के मोटे हो गए है !!
तेरे इस देश के गरीब की तो माया भी निराली हो गई,
धन चिंता में दिल सफ़ेद और काया भी काली हो गई !
साम्यनिर्धन हिताषियों के तो कर्म ही खोटे हो गए है,
जिधर देखो, सब के सब बिन पैंदे के लोटे हो गए है !!
पास्ता माता के चरणों में, मुखिया भी लमलेट हो गया,
जनप्रतिनिधि सिपैसलार तो जैसे फौजी तमलेट हो गया !
घर-उदर इनके बड़े हो गए, किन्तु दिल छोटे हो गए है,
जिधर देखो, सबके सब बिन पैंदे के लोटे हो गए है !!
फतवे बेचने लगे, धर्म की भट्टी पे आग तापने वाले,
कोई और बाबरी ढूढ़ रहे, राम का राग अलापने वाले !
हकदार का हक़ मारने को, रिजर्वेशन कोटे हो गए है,
जिधर देखो, सबके सब बिन पैंदे के लोटे हो गए है !!
जिधर देखो, सब के सब बिन पैंदे के लोटे हो गए है !
कोई लल्लू बन के लुडक रहा, कोई चिकना मुलायम,
खुद को अमर बताने वाले, खा-खा के मोटे हो गए है !!
तेरे इस देश के गरीब की तो माया भी निराली हो गई,
धन चिंता में दिल सफ़ेद और काया भी काली हो गई !
साम्यनिर्धन हिताषियों के तो कर्म ही खोटे हो गए है,
जिधर देखो, सब के सब बिन पैंदे के लोटे हो गए है !!
पास्ता माता के चरणों में, मुखिया भी लमलेट हो गया,
जनप्रतिनिधि सिपैसलार तो जैसे फौजी तमलेट हो गया !
घर-उदर इनके बड़े हो गए, किन्तु दिल छोटे हो गए है,
जिधर देखो, सबके सब बिन पैंदे के लोटे हो गए है !!
फतवे बेचने लगे, धर्म की भट्टी पे आग तापने वाले,
कोई और बाबरी ढूढ़ रहे, राम का राग अलापने वाले !
हकदार का हक़ मारने को, रिजर्वेशन कोटे हो गए है,
जिधर देखो, सबके सब बिन पैंदे के लोटे हो गए है !!