सीने में संजोई तेरी याद, कैसे मैं भुला लूंगा,
तुम जितने मर्जी गम दो, मैं मुस्कुरा लूंगा,
गुजारिश बस इतनी है, तेरे चेहरे की रौनक न बुझे,
अपने हिस्से के आंसू मुझे दे देना, मैं बहा लूंगा !!
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खुशी सदा तेरे दर पे ठहर जाए, ये दुआ मांगता हूँ,
बस तेरी जिन्दगी संवर जाए, ये दुआ माँगता हूँ !
न कहीं जीवन सफ़र में अन्धेरा, कभी तेरी राह रोके,
तुझे हरतरफ रोशनी नजर आये, ये दुआ माँगता हूँ !!
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क्यों तूने इसतरह से पत्थर का बनाया मुझको,
मुहब्बत की सजा, ऐसी तो न दे खुदाया मुझको !
मैं सोने के वास्ते चिता पर करवटें बदलता रहा,
क्यों मौत ने न अपने सीने से लगाया मुझको !!
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डिटर्जेंट से भी जो न निकल पाए कभी
हमने रगड़-रगड़ के वो दाग निकाले है ,
आस्तीन में दोस्तों की छुपे बैठे हो जो,
बीन बजा-बजा के वो नाग निकाले हैं,
दिल में तुम्हे पढने की तमन्ना जगी तो
अंतरजाल पे ढूढ़-ढूढ़ के ब्लॉग निकाले है !
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तन्हा दिल को अपनों की बेरुखी मारती है,
मेरी आत्मा मुझको हरपल धिक्कारती है !
रंग बिखरे है पास कई सतरंगी-इन्द्रधनुषी,
किन्तु नजर एकटक शून्य को निहारती है !!
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साकी तेरे मयखाने में जाम पिया किसने,
सरे-गुलशन फूल को बदनाम किया किसने!
दिल तोड़ने से पहले ये तो पता किया होता ,
कि तुमसे ऐसा ये इंतकाम लिया किसने !!