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Saturday, August 1, 2009

आँखों की नुमाइश !

काली रात और सावन की,
घनघोर घटा छाई थी...
अरसे बाद आँखों ने,
इक सपनो भरी नींद पाई थी !
मीठी नींद- मीठा स्वप्न,
खण्डित नींद-बुरा स्वप्न...
मीठा और बुरा...
दोनों ही प्रकार मौजूद थे,
कैसे श्रेणी-वद्ध करूँ ?
समझ नहीं पा रहा,
कि सपना जो मैंने देखा,
उसे कौन से में धरूँ ?


कहीं घूम आने की चाह,
मेरे दिल में जगी थी ...
और सुप्त चेतना मुझे
स्वप्न-लोक की,
सैर कराने लगी थी !
मैं जा पहुंचा हरियाली से आच्छांदित,
उस ख़ूबसूरत सी जगह पर...
और पहुंचा आखिर उस मॉल में,
आँखों की नुमाइश लगी थी
जहां, एक बड़े से हाल में !


समूचे जगत की आँखे,
मौजूद थी वहाँ...
और बांधा था,
उन भिन्न प्रकार की आँखों ने,
इक ख़ूबसूरत सा समा !
नीली-भूरी, काली-काली
बड़ी-बड़ी आँखे,छोटी-छोटी आँखे....
झील सी गहरी मोटी-मोटी आँखे !


मैं बस डूबता ही जा रहा था,
गहराइयों में,
उन प्यारी-प्यारी आँखों की...
कि तभी ठिठककर,
रुक गया, देखकर कोने में...
एक कुटारी आँखों की !
भिन्न तरह की कुछ आँखे....
सफ़ेद घूँघट के बीच...
बिलखती और रोती,
धोती के आँचल को भिगोती !
उस गीले आँचल को देख,
मैं सोच रहा था, कि...
शायद इन आँखों का,
दिल बहुत रोया है,
देश-हित के नाम पर,
अभी-अभी शायद इन्होने,
कोई अपना सगा खोया है !

कुछ और आँखे जो,
बदरंग पैंट-कमीज में लिपटी,
अलसाई और सोती हुई...
बयाँ कर रही ,
कार्यपालिका की खूबी थी,
और कुछ,
सफ़ेद खादी एवं कोट-टाई के बीच,
पडी मदमस्त,
मद्य-भाव में डूबी थी !
नीचे लिखा था;
'मेड इन इंडिया' यह सब देख...
सूख रही थी जान,
उसके भी नीचे
किसी मसखरे से सैलानी ने...
एक और चिप्पी चेप दी थी,
लिखा था, 'मेरा भारत महान' !

3 comments:

Ravi Srivastava said...

आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
सचमुच में बहुत ही प्रभावशाली लेखन है... वाह…!!! वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। बहुत सुन्दरता पूर्ण ढंग से भावनाओं का सजीव चित्रण... आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे, बधाई स्वीकारें।

आप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं। आप मेरे ब्लॉग पर आये और एक उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया दिया…. शुक्रिया.
आशा है आप इसी तरह सदैव स्नेह बनाएं रखेगें….

आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...

Link : www.meripatrika.co.cc

…Ravi Srivastava

परमजीत सिँह बाली said...

बहुत बढिया व सुन्दर रचना है।बहुत बहुत बधाई।

'अदा' said...

zabardast...